इस ब्लाग पर आकर अच्छा लगा...काश, हमें भी सातवीं आठवीं कक्षा में साईंस से इस तरह ही रू-ब-रू करवाया गया होता, हम तो बिजली की घंटी की बनावट और कार्यप्रणाली से दूर भागते भागते ही आठवीं कक्षा पार कर गये। नवीं कक्षा में जो साईंस गुरू मिले जिन्हें पढ़ाने में लगता था मज़ा आता है और बस फिर क्या था, हम भी लाइन पर आ गये.......धन्यवाद। आप के प्रयास बेहद सराहनीय हैं। इतनी सामग्री आप हिंदी में जुटा रहे हैं---आने वाली पीढ़ी आप की ऋणि रहेगी।
इस ब्लाग पर आकर अच्छा लगा...काश, हमें भी सातवीं आठवीं कक्षा में साईंस से इस तरह ही रू-ब-रू करवाया गया होता, हम तो बिजली की घंटी की बनावट और कार्यप्रणाली से दूर भागते भागते ही आठवीं कक्षा पार कर गये। नवीं कक्षा में जो साईंस गुरू मिले जिन्हें पढ़ाने में लगता था मज़ा आता है और बस फिर क्या था, हम भी लाइन पर आ गये.......धन्यवाद। आप के प्रयास बेहद सराहनीय हैं।
जवाब देंहटाएंइतनी सामग्री आप हिंदी में जुटा रहे हैं---आने वाली पीढ़ी आप की ऋणि रहेगी।
धन्यवाद डा. साब
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